एक अदभुत उड़ान एक सुखद अहसास, एक सुखद मंजिल | एक स्थान से एक साथ कई पंछी बड़ी तीव्रगति से उड़न भरने की तैयारी में थे | बस, उनको कमांडर से आदेश मिलने की देती थी | फिर क्या था, कमांडर ने उन सभी पंछियों का बड़े ही सुन्दर ढंग से अभिवादन, अभिनन्दन किया और सभी पंछी एक साथ पुरे वेग से अपना स्थान छोड़ते हुए नीलेआकाश की ऊँचाइयों तक पहुँचे जा रहे थे | धरती की चमक,आकर्षण से दूर होते नजर आ रहे थे | उन सभी पंछियों को एक गंतव्य स्थान तक पहुचना था | कुछ पंछी बिना किसी को देके गंतव्य पर पंहुचने में सफल हो रहे थे, कुछ कभी अपनी रफ़्तार को देखते तो कभी दूसरे उड़ते हुए पंछियों को |इस कारण उनकी उड़ान कभी तेज तो कभी मंद पड़ रही थी | कुछ पंछी उड़ते-उड़ते न जाने किस मज़बूरी के कारण आचानक ही धरती पर वापिस उतर रहे थे जबकि वे नहीं चाहते थे कि वे मंजिल को छोड़ धरती के दायरे में उतरें परन्तु वे तीव्रगति से जिचे उतरते ही जा रहे थे ! उतरते ही जा रहे थे !! उतरने वाले पंछी पुरे वेग के साथ उतरते जा रहे थे | अब उनका उतरना थम चुका था क्योंकि अब वे पूर्...