विश्वास की
शक्ति
विश्वास में गजब की शक्ति है | हम जिन बातो में विश्वास
रखते है वो हम पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती
है | वर्तमान समय बहुत- से दुखो का कारण
हमारा विश्वास, हमारी मान्यताएं भी है | जब हम सत्य बातो में, सकारात्मक
बातो में विश्वास करते है तो सफल होते है लेकिन यदि नकारात्मक बातो में विश्वास
रखते है तो अवश्य ही जीवन दुखदायी बन जाता है | अतः प्रत्येक पहलु को देखते, समझते
हुए सकारात्मक बातो में ही विश्वास रखना चाहिए |
कैसे जाने,
विश्वास सकारात्मक है या नकारात्मक ?
यदि हमें किसी
बात या घटना से दर लगता है तो अवश्य हमें उस की नकारात्मक पर विश्वास है | उदाहरण
के लिए, किसी का विश्वास है ‘मेरे साथ हमेशा बुरा होता है’, यह विश्वास उसके जीवन
में ख़ुशी आने नहीं देगा | हम चाहे उसे ख़ुशी, आनंद की कई बाते सुनाएँ परन्तु जब तक
उसका यह विश्वास टूट ना जाए तब तक वह खुश नहीं हो सकता | हमारे विचार जैस एही ,
उसी प्रकार की घटनाओं को अपनी ओर आकर्षित
करते है और वे घटनाएं बार-बार घटित होने से विश्वास और भी गहरा होता जाता है |
किसी का विश्वास हो सकता है, ‘मै सफल नहीं हो सकता ‘, ‘लोग बुरे होते है,’ क्रोध
के बगैर काम कैसे होगा,’ ‘मै यह नहीं कर सकता’ ‘टेंसन तो जरुरी है,’ मेरा योग नहीं
लगता,’ ‘मुझे कुछ नहीं दिखता’ जब तक हम ऐसे वाक्यों में विश्वास रखेंगे तब तक हम
जो पाना चाहते है उससे हमेशा दूर ही रहेंगे | हम नकारात्मक बात में विश्वास रखते है, हमारा मन कसकर उसे
पकड़ लेता है और हमें दुःख, अशान्ति,डर, चिंता, भय का अनुभव होता है | इसके विपरीत
यदि हम सकारात्मक बातो में विश्वास रखते है जैसे- ‘मै सब कुछ कर सकता हूँ’, ‘कुछ
भी कठिन नहीं’, ‘टेन्शन मुझे छु भी नहीं सकता’, ‘परमात्मा मेरा साथी है’ तब हम
सफलता की अदभुत शक्ति का अनुभव करेंगे | यदि जीवन में दुःख, कष्ट,डर, अशान्ति आदि
का अनुभव होता है तो अवश्य हमारा विश्वास नकारात्मक है और यदि प्रेम, आनंद,
शान्ति, सुख आदि का अनुभव करते है तो हमारा विश्वास सत्य और सकारात्मक है |
बदले अपने
विश्वास
यदि हम
नकारात्मक मान्यताओं को सकारात्मक विश्वास में बदल दे तो जीवन सुखमय-शांतिमय बन जाएगा
| कुछ लोग पुराणी मान्यताओं, रीति-रिवाजो, कर्मकाण्ड से चिपके रहते है, उन्हें
बदलना या छोड़ना ही नहीं चाहते तो वे जीवन में नयेपन व सुख-शांति का अनुभव भी नहीं
कर पाते है | परिस्थिति भले विपरीत हो पर यदि हम सकारात्मक हो तो परिस्थिति धीरे-धीरे
हमारे अनुकूल हो जायेगी | विश्वास जीवन की शक्ति है | जिन बातो में हम
विश्वास करते है आत्मा की साड़ी शक्तियाँ उसी ओईर बहने लगती है | महाभारत में
एकलव्य का वर्णन है, उसने गुरु द्रोण के न
सिखाने पर भी सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनकर दिखाया क्योंकि उसने विश्वास को अपनी शक्ति
बनाया | आज भी भक्तो को उनकी इच्छानुसार फल कैसे प्राप्त हो जाता है जबकि देवता तो
हजारो साल पहले थे | उनकी मूर्ति में शक्ति है या साधक के विश्वास में ? ज्योतिषी
रत्न-अंगूठी देकर कहते है,आपका कार्य होगा, अवश्य होगा | कार्य होता भी है परन्तु
कैसे ? क्योंकि उस व्यक्ति को विश्वास हो जाता है, मेरा कार्य होगा | अब अंगूठी
में शक्ति है या व्यक्ति के विश्वास में ?
भगवान में
विश्वास
कई लोग कहते
है, हम भगवान को क्यों माने ? इससे हमें क्या फायदा होगा ? हम इसलिए माने क्योंकि
इससे हमारी भावनाएं सुन्दर होगी,अनुभूतियाँ आनंदमय बनेगी, हमारे विचार सकारात्मक
व् जीवन सहज बनेगा, हमारा मन बुराइयाँ छोड़ देगा व् जीवन में सुख- शांति का अहसास
बढ़ेगा | आजकल मिटा सकते है तथा एक रिसच के मुताबिक नास्तिक लोग, आस्तिक लोगो की
तुलना में अधिक बीमार पड़ते है | भगवान पर विश्वास हमें स्वास्थ्य,ख़ुशी,आनंद सब कुछ
प्राप्त कराता है |
स्वयं में
विश्वास
हमें स्वयं पर
विश्वास रखना चाहिए, हम जो है, जैसे है,अच्छे है | ‘सर्वशक्तिमान परमात्मा की
संतान हूँ, यह निश्चय रखकर कोई भी कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी | जो
व्यक्ति स्वयं पर भरोसा नहीं रखता, वह हमेशा सोचता है, पता नहीं मुझसे होगा या
नहीं , मै कर पाउँगा या नहीं | ऐसा
व्यक्ति जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता इसलिए यह संशय रूपी कीड़ा निकलकर स्वयं
पर विश्वास करो | संशय का कीड़ा विश्वास को खा जाता है | स्वाभिमान व् विश्वास से
भरा व्यक्ति सब पर अपना प्रभाव छोड़ता जाता है | सम्बन्धो में भी यदि हम एक –दुसरे
पर विश्वास रखते है तो रिश्ते मधुर, पारदर्शी एवं सुन्दर बनते जाते है | आजकल
सम्बन्धो की कटुता एवं उनके बिखरने का कारण भी एक-दूसरे पर विश्वास की कमी है |
अतः स्वयं का स्वमान जगाये व् स्वयं को विश्वास से भर दे |
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