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Showing posts from February, 2018

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 आप हिम्मत का एक कदम बढाओं तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद आपके साथ होगी !

ज्वालामुखी योग

द्वारपाल से देह अभिमान और विकारो के वश होने के कारण मनुष्य आत्मा पर विकार्मो और पापो का बोझा बहुत है | 63 जन्मो से विकारो के वश कर्म और व्यवहार करते हुए आत्मा अपनी चमक खो चुकी है, वह धूमिल और पतित हो चुकी है | विकारो के वश ही आत्मा शक्तिहीन,कांतिहीन और तेज विहीन हो चुकी है | इसके फलस्वरूप छोटी-छोटी समस्याओं और परीक्षाओं में अधिकांश आत्माएं मुन्झतीऔर घबराती रहती है | सामना करने, समाने और निर्णय करने की शक्ति, अपवित्रता के कारण ही कम हो गई है, अतः आत्मा को सशक्त बनाने और उसे चढ़ती कला की ओर ले जाने के लिए सर्व शक्तिवान परमात्मा के गहन सान्निध्य की परम आवश्यकता है | पतित पावन आये है समस्त मानव आत्मा के लिए यह ईश्वरीय शुभ सन्देश है कि अभी पतित-पावन परमात्मा शिव स्रष्टि को पावन बनाने के लिए ब्रह्मा तन में अवतरित हुए है और वे पिछले 75 वर्षो से ज्ञान-योग की अग्नि से आत्माओं को तपाकर उनकी बुराइयों को दूर कर रहे है | लाखो ब्रह्मा वत्स उस तारणहार शिव को जान और पहचानकर राजयोग की साधना द्वारा आत्मशुद्धि और पापो से मुक्ति की साधना में लगे हुए है | अब समय है, जब संसार की शेष आत्माओं को ...

अवायड द वेस्ट

ईश्वर द्वारा निर्मित इस स्रष्टि पर कोई भी वस्तु,व्यक्ति,जड़ या चैतन्य बिना किसी उपयोग के नहीं है | इसलिए व्यक्ति को हर साधन और संसाधन का बड़ी मितव्ययिता के साथ सदुपयोग करना चाहिए | जो लोग संसाधनों को व्यर्थ गंवाते है, वे बड़ी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते है | समय,संकल्प,शक्ति, ज्ञान, गुण, तन-मन-धन और स्थूल संसाधन सभी अपना महत्व   रखते है, इसलिए उनका मितव्ययिता के साथ उपयोग करना चाहिए | हर संसाधन को सफल और सार्थक करने वाले लग ही, जीवन में सफल होते है | संकल्पों की बचत :- हमारे जीवन की सबसे बड़ी शक्ति संकल्पों रुपी शक्ति है | क्योंकि हमारे विचार ही कर्म में बदल जाते है | सशक्त विचार से शक्तिशाली कर्म होते है |और दुर्बल विचार से होने वाले कर्म भी दुर्बल ही होते है | विचार अगर पवित्र है, राग,द्वेष से परे है, भय और दबाव से मुक्त है, निर्विकार है, तो ऐसे विचार सदा शुभ कर्म कराते है | इन विचारो से ही लोककल्याण व् सेवा के कर्म किये जा सकते है | इस प्रकार हमारे संकल्पो का ख़जाना एक बहुत बड़ा खजाना है, जिसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए | व्यर्थ चिंतन, नकारात्मक चिंतन, परचिन्तन आदि में ...

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