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Showing posts from July, 2017

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 आप हिम्मत का एक कदम बढाओं तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद आपके साथ होगी !

सदा मुस्कुराइये मायूसी भगाइए

           मनुष्य ही ऐसा सौभाग्यशाली है जिसे परमात्मा ने वरदान के रूप में मुस्कान दी है  बु जुर्गो ने कहा है कि मनुष्य को खाना एक गुणा –पीना दो गुणा –कसरत तीन गुणा हँसाना चार गुणा और प्रभु चिंतन पांच गुणा करना चाहिए | खिला हुआ फूल – और मुस्कुराता हुआ चेहरा देख सब प्रभावित हो जाते है | लेकिन आजकल कि भागदौड़ कि जिन्दगी में मनुष्य मुस्कुराना भूल गया है जिस मुस्कान के लिए वो सब कुछ कर रहा है   , वह मुस्कान उससे दूर होती जा रही है तनाव और मायूसी के जीवन में ही वो जी रहा है | उसे मुस्कुराने कि भी फुर्सत नहीं है | कई बार कोई काम नहीं होता है या बना हुआ कोई काम बिगड़ जाता है तो तुरंत कहते हिया “पता नहीं आज सवेरे किसकी मनहूस शक्ल देखी जो आज कोई काम नहीं हो रहा है “तभी तो लोग उठते ही भगवान के दर्शन करते है कहने का भाव – मायूस चेहरा किसी को भी अच्छा नहीं लगता | कोई कोई तो उनका हालचाल पूछने पर अपनी मायूसी छिपाने के लिए आर्टिफिशियल , दिखावे के लिए हँसते है | इसलिए छोटी – छोटी बाते से मन को भरी न करे , सदा मुस्कुराइए | मुस्कराहट आपके चेहरे का दर्पण...

एकाग्रता कि शक्ति

एकग्रता की शक्ति   आपने कभी किसी मदारी को करता दिखाते हुए अवश्य देखा होगा | जरा सोचिये , कंधे पर लाठी रखे उसके एक सिरे पर कपडे कि गठरी में कुछ जरुरत कि चीजे कुछ का सामान बांधे पेट भरने के लिए पैदल चलता इन्सान कितनी लगन और एकाग्रता के साथ कितने समय तक जानवरों और बच्चों के साथ अपने करतब दिखने का अभ्यास करता होगा बता बाबू जी के हाथ में क्या है | ऐसी मेहनत, लगन एवं एकाग्रता का अनुभव मुझे ट हुआ जब कुछ वर्ष पूर्व एक चौराहे पर, एक आदमी अपने दस-बारह वर्ष के बच्चे के साथ आया | उसने उस बच्चे को जमीं पर चादर बिछाकर लेटा दिया, फिर चौकोर बड़ी टोकरी से ढक दिया, ऊपर से कई मोटे-मोटे कपडे डाल दिये | तमाशा देखने वाले लोग चारो ओर बड़ा गोल घेरा बनाकर खड़े हो गए | मदारी टोकरी में बंद बच्चे से पूछता गया , अच्छे बता, बाबूजी के हाथ में क्या है? टोकरी में बंद बच्चा एक-एक कर सही जवाब देता गया-‘छाता घड़ी थैला , छड़ी आदि| तमासा   देखने वालो में उसी चौराहे पर डयूटी दे रहे दो सिपाही भी शामिल हो गए| उनमे से एक सिपाही ने सोचा कि यह माद्री सभी लोगो को बेवकूफ बना रहा है, इसने ड्रम से , बच्चे को ची...

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                            मानवीय कमजोरियों को छेदने कि ताकत  छोटे बच्चे जब स्कूल जाने लगते है अपनी पाठयपुस्तको को सरस्वती का रूप मानते है | भूल से ही पांव लग जाये तो माथे से लगा लेते है | पुस्तक ही क्यों कोई भी छपा हुआ कागज उनके लिए पुज्निये है | बड़ो के लिए भी छपाकागज सरवती तुल्य है | अत:छपे हुए कागज का निष्पक्ष सत्य प्रेरणादायक तथा प्रेमभाव बढ़ने वाला होना जरुरी है | किसी मूल्य को सदगुण को उजागर करती हुई कोई भी छोटी सी घटना भी समाज के लोगो कि धारा बदल सकती है |साहित्य समाज का दर्पण है और दिशासूचक भी | जनकल्याण कि स्याही में डुबोकर, नम्रता और सत्यता से उकेरे गए शब्दों में मानवीय कमजोरियों को छेदने कि ताकत गोली कि मार से भी अधिक होती है | यह कलम कि ताकत ही है कि वह शान्ति के मधुर राग के साथ अपने या दुसरे के भीतर कि विक्रतियो अन्धविश्वासो, पूर्वाग्रहों, नफरतो , अशुभ भावो को खीचकर बाहर ले आती है और एक   ऐसी तड़प पैदा करती है कि व्यक्ति उनसे छुटकारा ...

विवेक को नष्ट करता है क्रोध

  सं सार में करोड़पति है और रोडपति भी परन्तु उन दोनों में से उन्मादी है क्रोधपति | करोड़पति अहंकारी हो सकते है जबकि क्रोधपति परेशानियों का शिकार रहते है | यह सोचना तो करोड़पतियो का ही काम है कि करोड़ो कि सम्पति   के मालिक है या यह सम्पति उनकी मालिक | इसी तरह क्रोधपतियों को यह स्वयं विचार करना है कि क्रोध उनका पति है या वे क्रोध के? कुछ भी हो क्रोध है बुरा जिसके घर में इसका वास होता है, उसके खजाने खली हो जाते है| खजाने कौन-से ? सुख , शांति प्रेम , ख़ुशी व संतुष्टता    के| ये सर्वश्रेष्ठ खजाने है और यह क्रोध एक भयंकर भुत है जिसकी नजर इन्ही खजानों पर रहती है | अब सोच ले , आपको ये खजाने प्रिय है या आपका प्यार इस भूत से है? निर्णय शक्ति भ्रमित क्रोधी पापा के घर में प्रवेश करते ही बच्चे ऐसे ही दुबक जाते है जैसे बिल्ली को देखकर चुहे | यदि किसी के घर का बड़ा व्यक्ति क्रोध कि अग्नि में जलता है तो वहां कि खुशहाली जलकर नष्ट हो जाती है |   बच्चो कि बुद्धि का विकास रुक जाता है और अनेको का जीवन उदासी व निरासा के गहन अंधेरो में डूब जाता है | क्रोध का पहला बुरा परिणाम भु...

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