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 आप हिम्मत का एक कदम बढाओं तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद आपके साथ होगी !

मानवता के विधान के विधाता


मानवता के विधान के विधाता 

भारत की भूमि देवदूतो से भरी पड़ी है | हम ये नहीं कहते कि रामकृष्ण परमहंस,विवेकानंद जी व महर्षि दयानंद सरस्वती या अन्यानेक आत्माए महँ नहीं थी, महान थी, लेकिन एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने अपनी सम्पूर्ण संतति,संतान व सम्पति को एक सेकेण्ड में विश्व कल्याणार्थ समर्पित कर अपना नाम उन देवदूतो में लिखवाया जिसे स्रष्टि की शुरुआत होती है |

 

भारत की देवभूमि को हजारो ऋषिओं की तपस्थली का भी नाम देते है | उसी तपस्थली माउन्ट आबू राजस्थान है, जहाँ पर एक कालजयी व्यक्तित्व द्वारा विश्व नवनिर्माण का इतिहास परमात्मा ने रचा और उस व्यक्तित्व का नाम दिया प्रजापिता ब्रम्हा | जैसे प्रत्येक धर्म में कोई न कोई धर्म का प्रथम पुरोधा अवश्य होता है, वैसे ही सम्पूर्ण विश्व और उससे जुड़ीमानवता के अध्यात्मिक उत्थान हेतु परमत्मा ने हम सबको बीच से ही एक श्रेष्ठ मानव का चयन किया जो शांति और सदभाव को लेकर कार्य करता है | जब भी उसकी जीवनी लिखी जाति है तो उसके गुणों के बारे में जितना कुछ लोग कहते है उससे वह कही अधिक होता है | ऐसे ही मानव धर्म के मसीहा जिनका नाम चिरकाल तक अमर रहेगा, जिसके द्वारा सम्पूर्ण मानवता को आध्यात्मिक मूल्यों से सर्वश्रेष्ठ बनाने का एक वृहद कार्य परमात्मा ने किया, का नाम है दादा लेखराज |

 

काल चक्र बदला 

 

प्रथम विश्व युद्ध के त्रास के पश्चात अंग्रेज प्रशासन काल में जब भारत जकड़ा हुआ था उस समय चारो तरफ अकाल, भूखमरी व प्राकृतिक आपदाओं का माहौल था, ऐसे समय में एक परा शक्ति (परमात्मा) ने सिंध हैदराबाद, जो अब पाकिस्तान में है, के एक जौहरी को परख कर मानव कल्याणार्थ निमित्त बनाया | उस काल में धर्म पतन की अवस्था को ओर अग्रसर था | लोग अपना सबकुछ शांति और सदभाव के लिए देने को आतुर थे | ऐसे समय में ही दादा लेखराज को उस परमशक्ति ने निमित्त बनाकर ब्रह्मा नाम दिया और कहा कि मई तुम्हारे द्वारा स्रष्टि परिवर्तन का काम करूँगा जिन्हें ग्रन्थो में आदि देव, कही आदम, एडम आदि नाम दिए गए है

अद्वतीय छवि 

 

निराकार, ज्ञान के सागर, सर्वशक्तिमान परमपिता ने जिस आदि देव को अपना रथ बनाया वह अद्भुत, अनुपम व् अद्वतीय था | अगर उनकी महिमा की जाए तो उसके लिए शब्द भी कम पद जायेंगे | हम सभी प्यार से उन्हें ब्रह्मा बाबा भी कहते है | जिन्होंने अपनी सहज तपस्या और त्याग के बल से कर्मातीत अवस्था को प्राप्त किया | उनकी प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है की ब्रह्मा बाबा सदैव अपने आप में निश्चय रखते थे और साथ ही अपने सभी कार्यों को परमात्मा के निमित्त करते थे | किसी भी परिस्थिति में सदा समर्थ संकल्प में रहते थे, उनको हमेशा रहता कि हमारा पिता हमारा रक्षक है, इसलिए हमारा बाल भी बांका नहीं हो सकता | उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कर्मेन्द्रियों पर विजय देने के पश्चात् भी उन्हें इस बात का बिलकुल अभिमान नहीं था कि मैंने कुछ त्याग किया | अपनी शक्तिशाली बना दिया जिसका आधार परस्पर एक दुसरे को आत्मा देखने के साथ जोड़ा | ब्रह्मा बाबा ने मात्रतशक्ति को सबसे ऊपर रखा, अगर हम यूँ कहे कि नारी सशक्तिकरण की शुरुआत उन्होंने की तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी | ब्रह्माबाबा  किसी को उठाने के लिए सदा कहा करते कि आपके अन्दर ये विशेषता है और ये भी विशेषता और जुड़ जाए तो कितना अच्छा होगा | ऐसे थे हमारे देवभूमि के प्रथम देवदूत |

 

 

मानवता के विधान को रचने वाले विश्व रचयिता भाग्य विधाता ने दादा लेखराज को कालचक्र में आने वाले परिवर्तन का वह भयावह परिद्रश्य दिखाया जिसको देखकर दादा लेखराज के रोमांच खड़े हो गए | क्या इस दुनिया का इस तरह परिवर्तन होगा ? जलजला,प्रकृति का प्रकोप इतना भयानक था की उस द्रश्य का वर्णन करना बहुत मुश्किल है | लेकिन उसके दुसरे ही सीन में परमात्मा ने इनको दिखाया कि ऊपर से आत्माए उतरती है और निचे आकर देवता बन जाती है | तो एक तरफ स्रष्टि के महापरिवर्तन का सीन और दूसरी तरह स्वर्ग का द्रश्य | इस साक्षात्कार को कराकर परमात्मा ने यह सिद्ध किया कि पुरानी दुनिया का परिवर्तन और नई दुनिया की स्थापना अब होनी है आपके द्वारा |

 

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