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कर्मो की गुह्य गति

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कर्मो की गुह्य गति
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आज भोले बाबा ने कर्मो की गति को दर्शाया और सतयुग के बारे में भी बताया | भोले शिवबाबा ने कहा कि बच्चा गर्भ में आता है तब भी वह गर्भ जेल में अपने कर्मो की सजा ही भोगता है | गर्भ जेल है एक बंद कोठरी में इस इस नाड़ीयो से बंधा होता है | अन्दर कितनी नाड़ीयो में फंसा रहता है यही कर्म भोग है जब बच्चा जन्म लेता  है तो अपनी सजा काटकर जन्म के बाहर आकर फिर उल्टा कर्म कर सजाओं का पात्र बन जाता है| भोले बाबा ने आज मुरली में यह भी कहा जो बच्चे जन्म लेते कमजोर अपंग पैदा होते है | वह भी उनके पूर्व जन्म की ही भोगना है | एक तो गर्भ में सजा खाते है और जब जन्म ले बाहर संसार में आते है तो जन्म से ही अपंग कमजोर होते है | यह भी इनका पिछला बहुत ज्यादा विकर्मो (पापो) के किये हुए होते है | यह उनकी सजा भोगना है | बाबा कहते कि कोई कोई  बच्चे विस्तार में पड़े रहते है | कमजोर अपंग होते है न बोल सकते है न चल सकते है | और उनके माता पिता सालो उनकी सेवा करते रहते है देखो कर्म का भोग तो आत्मा कर ही रही है फिर उस आत्मा की सेवा के लिए कोई न कोई निमित्त बन ही जाता  है यह भी कर्मो की गुह्य गति है | जो बच्चे अपने माता पिता से लम्बी सेवा करवाता है और उनके माता पिता लम्बे काल से दुःख चिन्तित हो उनकी सेवा करते है | यह भी उस आत्मा से जिन आत्मा माता पिता बुरे कर्म करते रहते है और उससे बुरे कर्मो में कोई और एनी आत्मा का साथ देता है तो उसका भी हिसाब किताब उस आत्मा से जुड़ जाता है | पिछले जन्म जो आत्मा खून क़त्ल चोरी डकैती और भी विकर्मो में साथ दे उससे वह अपना हिसाब किताब बना लेता है | वही आत्मा फिर दुसरे जन्म में कमजोर अपंग बन जन्म लेते है | और जो उनके माता पिता बनते है वह भी पिछले जन्म उनके विकर्मो में सहयोगी होते वही आत्मा माता पिता बन फिर उसका दुसरे जन्म इस हालत में सेवा देते है | बाबा ने आज बड़ी गहरी कर्मो की गुह्य गति को समझाया है | और बच्चो को कहा भी अब बच्चे यह अंतिम जन्म किसी भी मनुष्य अत्त्माओ से कोई भी अपना हिसाब किताब नहीं बनाओं यह अंतिम नाम अपना हिंसक किताब सभी आत्माओं से चुकतू कर हलके हो जाना है | इसलिए जीतेगी अपने पुराने कड़े संस्कारो का भी अंतिम संस्कार कर दो | एक परम पिता परमत्मा से अपना हिसाब किताब बनाओं | तो बाद में तुम्हे रिटर्न में भरपूर कर भेजेगा भोले बाबा ने यह भी कहा कि किसी भी वस्तु में ज्यादा लगाव नहीं रखना है | बहुतो में बुद्धि देह धारी में होती है | किसी की कपड़ा किसी की खाने पिने में अटकी होती है यह खालो यह पहनलो बाबा याद नहीं आता है जहाँ बुद्धि बार-बार जाएगी वही चीज बार याद आयेगी | इस लिए अपनी बुद्धि फंसानी नहीं है | आपकी बुद्धि इन सब चीजो में फासी होगी तो अंत मेट सो गति हो जायगी | बाबा के बजाय वह पर कर खाना पीना बस याद आएगा | तो फिर से दुःख की दुनियां में आना पद जायेगा आत्मा सत्संगति के बजाय दुर्गति में आ जाएगी | बाबा ने आगे बताया कि सतयुग में राजाओ के महल इतने बड़े होंगे जितना बड़ा आबू है | हजारो एकड़ जमीं के मालिक होंगे | वहां के एक एक फल रसदार होंगे | सतयुग में सभी के पास सुन्दर सुन्दर विमान होंगे | यहाँ तो लक्ष्मी नारायण के छोटे छोटे मंदिर है | सतयुग में लक्ष्मी नारायण चैतन्य में बहुत बड़े महलो में रहेंगे | बाबा ने कहा कि नस्टोमोहा स्मृति बन्ने के लिए सर्व सम्बन्धो से बाप को अपना बनाओं किसी भी दैहिक संबंधो में बुद्धि का लगावन हो | अगर कही भी लगाव होगा तो बुद्धि भटकेगी | वैसे भी बाप को याद करने पर वही आएगा जिसमे मोह होगा | अगर बार बार बुद्धि जाती है तो एक रस नहीं रह सकते | जितना याद करेंगे मुझे उतना सभी पापो से जल्दी मुक्त हो जायेंगे तो बाबा ने आज हम सब को मुरली के माध्यम से हम बच्चो को शिक्षा देते हुए सावधानी भी दिया है | अच्छा
ओम शांति

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