हमारे साथ आज जो कुछ
भी घटित हो रहा है, वो हमारी समझ के आधार से ही हो रहा है | हम मन द्वारा चमत्कार
करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन कही न कही कुछ मिस कर रहे है, जिससे चमत्कार हो तो
जाता है, लेकिन उल्टा | हम ये नहीं कह रहे कि आप हमेशा ही उल्टा करते, लेकिन उसे
यदि एक दिशा दी जाए तो चमत्कार सही दिशा में होगा |
हमारे संबंधो से इन
बातो को हम जोड़ने की कोशिश करते है की आज हमारे सम्बन्ध इतने अभयस करने के बाद भी
ठीक नहीं हो रहे, कि हम उनको सुनते भी है, समाते भी है, सहन भी करते है, लेकिन
हमारा अनुभव हमें संतुष्टता प्रदान नै करता | आज हम इसके कारण को समझते है |
देखिये हो क्या रहा है, कि आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार हम अपने आप को जो समझते
है वही हम आकर्षित करते है, ये जगजाहिर है |
इस सिद्धांत को यदि
हम संबधो पर लागू करे तो क्या होगा ? अब जो आप समझते है, वही तो आकर्षित करेंगे ना
| अभी आप अपने आप को एक पत्नी समझेगें या पति समझेंगे या पिता समझेंगे या पुत्र
समझेंगे तो उसके अनुसार ही उन संबंधो के विपरीत या समान लोग आपकी तरफ आयेंगे, और
यही हो रहा है | हम अपने आप को जो समझ रहे है, वैसा ही व्यवहारहमारे साथ हो रहा है
| जैसे आज पति-पत्नी के बीच सम्बन्ध ठीक नहीं है, अर्थात जब पति अपने आप की पूरा
पति समझता है,तो उसके विपरीत में तो पत्नी ही है, तो वो ही तो उससे बातचीत करेंगी
या लड़ेगी-झगड़ेगी, क्योंकि पति के साथ गहरा सम्बन्ध उसी का है,और वही उस शब्द के
साथ फिट बैठती है | अब देखो परमात्मा हमारे साथ चमत्कार कैसे करने के लिए कह रहा
है |
आप देखो, आपके साथ
ये घटना क्यों घट रही है, क्योंकि जब हम खुद को अपने शरीर या शरीर के सम्बन्धियों
के साथ जोड़ते है, तो हमारे साथ उन्हें संबंधो से तो परेशानी,दुःख या तकलीफ मिलेगी,
इसके पीछे का बिज्ञान हमें समझना है कि जो हमारे साथ घट रहा है, उस हम ही घटाने की
कोशिश कर रहे है | ये अपने आप नहीं हो रहा है | इसको थोडा सा परिवर्तन करते है |
यदि आप अपने आप को सीधे और सही तरीके से आत्मा समझ लो, अंडरलाइन करो इस बात को \,
तो आपके साथ, आपकी अनुभूति के साथ, शांति , प्रेम पवित्रता के साथ ही लोग जुडेगें,
न कि शरीर के संबंधो के आधार से | बस आपको समझना है, महसूस करना है और आगे बढ़ना है
| तो देखिये होता है या नहीं चमत्कार ! सबकुछ बदल जाएगा बस समझ के आधार से |
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