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 आप हिम्मत का एक कदम बढाओं तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद आपके साथ होगी !

वरदान देने आये शिव भगवान्



    अमरता का देने वरदान, आये शिव भगवान

परमात्मा शिव स्वयंभू विश्व कल्याणकर्ता, दिव्य चक्षु विधाता और गीता ज्ञानदाता है | उनके अनेक नामो में एक नाम अमरनाथ भी है, जिसका भाव यह है कि परमात्मा शिव मानव आत्माओं को अमरत्व का वरदान देते है और वरदान देने के लिए परमात्मा को धरा पर अवतरित होना पड़ता है |
            
           निराकार ने लिया साकार का आधार

शिव परमात्मा को एक ओमकार,निराकार,अजन्मा,अभोक्ता अयोनि और अशरीरी भी कहा जाता है | कारण कि उनका कोई निज शरीर नहीं है, वे अति सूक्ष्म ज्योतिर्बिंदु व् निराकार है | परंतू जगत कल्याण के लिए धर्मग्लानि के समय निराकार शिव को धरा पर अवतरित होना पड़ता है |  अतः इसके लिए वे साकार ब्रह्मा के वृद्ध तन का आधार लेते है और ब्रह्मा मुख से वे सत्य गीता ज्ञान अथवा अमरकथा सुनाते है |
                    
                अमर कथा का रहस्य –

कहते है शिव ने पार्वती को कैलाश पर्वत पर अमरकथा सुनाई | वास्तव में जगत का कल्याण करने वाले परमात्मा द्वारा सिर्फ पार्वती को अमरकथा सुनाना यथार्थ और युक्तियुक्त नहीं लगता है | इसका आध्यात्मिक मर्म यह है कि शिव परमात्मा पर बलिहार होने वाली हर आत्मा पार्वती के समान है | वैसे भी परमात्मा को पुरुष और आत्मा को स्त्री रूप में चित्रित किया जाता है | अतः परमात्मा ने सिर्फ एक पार्वती को नहीं , अपितु आत्मा रुपी अनेक आत्माओं को अमरलोक जाने का विधान बताया | इसीलिए इस कथा को अमरकथा कहा जाता है, जिसे सुनकर आत्मा को अमरत्व का वरदान प्राप्त हो जाता है |
                   
                 अमरलोक की यात्रा

परमात्मा ने ब्रह्मामुख से ज्ञान देकर यह रहस्य स्पष्ट किया है कि यह स्रष्टि आज से 5 हजार वर्ष पूर्व पवित्रता,सुख,शांति से संपन्न दैवी स्रष्टि अथवा अमरलोक थी, जिसे सतोप्रधन काल या सतयुग कहा जाता था | यहाँ मनुष्यात्मा रोग-शोक से मुक्त होती है और उसकी अकाल मृत्यु भी नहीं होती है | इसलिए इस युग को अमरलोक अथवा सुखधाम कहा जाता है | कालांतर में मानव आत्माएं धीरे-धीरे पतित बनती गयी | विषय-विकारो के वश होने के कारण उनकी अमरता का वरदान छीन गया और इसलिए कलियुग में रोग-शोक,दुख –अशांति व्याप्त है | पुनः परमात्मा अमर भाव का वरदान देकर और अमरकथा सुनकर आत्माओं को दैवी स्रष्टि अथवा अमरलोक में चलने लायक बना रहे है, परन्तु अमरता का यह वरदान वही आत्मा प्राप्त कर सकती है, जो इस घोर कलियुग के अंत समय विषय-विकारो का त्याग करके पवित्र और राजयोगी बनती है | वर्तमान समय अमरता का यह वरदान अमरनाथ शिव भगवान् प्रजापिता ब्रम्हा व् ब्रह्मा वत्सो के माध्यम से सबको लुटा रहे है | तो आइये सच्ची अमरकथा सुनकर अमरलोक सतयुग में चलने की तैयारी करे और अमर भाव का दिव्य वरदान प्राप्त करे |

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