मनन से लगाओ ध्यान
इसलिए परमात्मा से
यदि हमें संपर्क साधन हो, तो सबसे बड़ी पॉवर,विचार-शक्ति का इस्तेमाल करना होगा
|क्योंकि उपरोक्त संपर्क प्रकृति के साथ ही था, लेकिन परमात्मा तो प्राकृतिक
शक्तियों से परे है, इसलिए उससे थोडा अलग तरीके से मिलना होगा | भावना की शक्ति,
मनन-शक्ति से हम इस दुनिया के पार कही भी आ-जा सकते है | अतः मनन या मेडिटेशन ही
परमात्मा के साथ हमें जोड़ सकता है | इससे इतना फायदा है कि आप सोच भी नहीं सकते है
| प्रभु चिंतन से मन और उससे सामने वाले व्यक्ति के साथ गुणग्राही सम्बन्ध बनता
है, इसका उदाहरण यह है कि जब कोई व्यक्ति पूजा-पाठ या परमात्मा को याद कर रहा होता
है तो उसके आसपास जाने वाले व्यक्ति को बहुत ही अच्छी अनुभूति होती है | उसे बहुत
शांत वातावरण अनुभव होता है, उसे भी वैसा बनने का मन करता है | इसलिए परमात्मा के
साथ जुड़ाव हो जाने से व्यक्ति का सम्पूर्ण वायब्रेशन बदल जाता है, और उसे किसी के
साथ संपर्क दिल से जोड़ने में कोई मुस्किल नहीं होती, तब वो उन आत्माओं का दिल से
सम्मान करने लग जाता है | इसमें देखिये तरीका क्या अपनाया गया है, सीमे सिर्फ
परमात्मा के गुणों के बारे में सोचना, उसको याद करना, अपने जीवन में धारण करना,
मनन शक्ति का प्रयोग करना चिंतन करना, ये सामान्य प्रक्रिया ही तो है, लेकिन ये
प्रक्रिया इतनी शक्तिशाली है कि आपके अंतर के वातावरण को सम्पूर्ण बदल देती है, और
यही मनन चिंतन ही परमात्मा को सम्पूर्णतया पाने का आधार है |
1. जैसे किसी टेप में
रिकार्ड पर रिकार्ड भरो तो पुराना मिट जाता है, वैसे ही परमात्मा के बारे में
सोचने पर नये विचार आते है, जिससे नए संस्कार बन जाते है |
3. ख़ुशी बढ़ जाती है, मन
इन्द्रिय सुखों से निकल जाता है, साथ ही उसका मनोबल बढ़ता जाता है |
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