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 आप हिम्मत का एक कदम बढाओं तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद आपके साथ होगी !

भगवान का बच्चा माना बिल्कुल सच्चा




बाबा का प्यार हमें रखता सेफ और साफ़

जो शांतिदाता है उनके दिल से निकलेगा ओम शांति | हम सबको बाबा के हाथ का साथ बहुत अच्छा मिला है | बाबा का प्यार ही यहाँ तक पहुंचा देता है | यहाँ आके बैठते ही, इतनी सुन्दर रचना को देख रचता साथ बैठ जाता है | कहता है देख मेरी रचना कैसी है ! बाबा ने अपना बनके क्या से क्या बना दिया ! बाबा ने कैसे बच्चो को अपना बनाया, वो जादूगरी बाबा की अभी तक चल रही है | हम क्या करते है, सिर्फ ऐसे बैठे है | जो भी सामने मिलेंगे पूछने की जरुरत नहीं है,खुश हूँ ! ख़ुशी तो यहाँ ले आई है | ज्ञान बुत बड़ा नहीं है सिर्फ दृढ़ संकल्प हमारा,काम है बाबा का | सिर्फ हिम्मत रखो, विश्वास रखो कि यह भी करेंगे, ऐसे करेंगे | बाबा ने हाथ में हाथ देकर के सब बातो से पार कर लिया है, खिवैया है ना | खिवैया का काम है नैया खड़ी करना और हमको बिठाना | पार ले जाने के लिए बाबा ने हाथ में हाथ दिया, पर हाथ में हाथ तब देवे, जब मई पहले नांव में जम्प लगाऊं ना | कोई भी बात मुझे रोक न लेवे | न बोझा है, न कोई बैग-बैगेज है | जो कैसे जाऊं, यह भी नहीं है सिर्फ जम्प लगाना है | जो रोज बाबा की मुरली सुबह पढ़ते सुनते है वह सहज जम्प लगा सकते है | बाबा ने जो प्यार दिया है, बाबा के प्यार में ही फ़िदा हुए है | शमा को परवाने देख फ़िदा हो जाते है, तो अच्छा है |महफ़िल में जल उठी शमा परवाने के लिए | बाबा क्यों आया है ? बाबा आया, हमको मिला, साथ दिया, हाथ में हाथ दिया तो हम बाहर की दुनिया से फ्री हो गए | बाबा ने जो दिया खजाना दिया है, उससे खेलने लगे | ज्ञान का ख़जाना है, पता है वैकुण्ठ में जाना है, उसके लिए अबी घर को याद करना है | अभी क्या याद ई ? बाबा | बाबा ने कहा बच्ची, अब घर जाना है | जी बाबा | ऐसे नहीं, हाँ चलेंगे, देखेंगे | नहीं नहीं | चल रहे है, प्रैक्टिकल दिख रहा है इसलिए बाबा एक्स्ट्रा प्यार कर रहा है | यह एक्स्ट्रा अनुभव है ना | जो यहाँ एक जगह ऐसे बिठा दिया है, कोई हिलता भी नहीं | वंडरफुल यह टाइम है | यह टाइम मिलन मनाने के लिए है, इसीलिए यहाँ आते है ना, बाबा से मिलन में क्या क्या मिला है ! हम भी निर्मोही, निर्लोभी हो गए है | भले और विकार तो गए पर सूक्ष्म लोभ और मोह भी चला गया विचारा |
हमें क्या चाहिए ! कुछ नहीं चाहिए तो हम कितनी तृप्त,संतुष्ट आत्मा है | करावनहार करा रहा है, भगवान हमारा साथी है फिर साक्षी होकरके साड़ी लाइफ इ प्ले भी किया है पर खेल समझ के किया है, खेल को खेल की रीति  से किया है | हम सिर्फ अच्छा खेलते है तो कमाई  की गठरी भी भरती जाती है फिर कोई आता है तो शेयर करते है | बाबा का प्यार हमें सेफ भी रखता हिया, साफ भी रखता है | मेरे पास कुछ नहीं है सब बाबा का है | तुम भी बाबा से डायरेक्ट ले लो | बाबा ने यह एक ऐसी युक्ति बताई है जो तुम यह नहीं कहना, आओ ले लो, नहीं | ले लो  दुआयें माँ-बाप की , गठरी उतरे पाप की ...... इससे हलके हो जाते है | तो बाबा के नाम से ही काम हो जाता है दिल में आता है बाबा, काम हो गया | आप यहाँ क्या कर रहे हो ? कौनसी खीच इस टाइम यहाँ बिठा देती है | यहाँ संगठन में जो हाजिर होने में वायब्रेशन है वो बुद्धि को स्थिर बना देते है बुद्धि स्थिर हो जाए तो उसका फल अचल अडोल स्थिति न चलायमान, न दोलायमान |  










हम शब्दों में कैसे आये, वाह बाबा वाह कहने से क्या क्यों से बच गए | जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है | अमृतवेले के महत्व को जान जो बाबा के पास हाजिर होते है उन्हें सुख मिलता इलाही है | अमृतवेले का सुख, फिर मुरली का वंडरफुल महत्व है | यह जो बाबा के बोल है बच्चे यह ज्ञान गुह है, गोपनीय है, रहस्ययुक्त है | अमृत पि रहे है, पिला रहे है और कोई काम नहीं है |

मैंने देखा है पांच विकार का,क्रोध,लोभ,मोह, अहंकार तो चले गए पर उनके बाल बच्चो में इर्ष्या बहुत-बहुत अन्दर में परेशां करती है | दूसरो को आगे बढ़ता हुआ देख सहन नहीं होता | उनका ज्ञान योग सब छूट जाता है | बाबा कहते बच्चे मायाजीत बनना हो तो विकर्माजीत बनो | जो बाबा ने कहा सतयुग में कर्म अकर्म है, कलियुग में कर्म विकर्म है और अभी श्रेष्ठ कर्म करने का समय है आत्मा के ज्ञान की गहराई में जाओ तब ही आत्म-अभिमानी बन सकेंगे | मै आत्मा हूँ, ऐसे सिर्फ नहीं, मन बुद्धि संस्कार है, यह शरीर की कर्मेन्द्रिया है | मै आत्मा शरीर में हूँ पर मुझ आत्मा को इस शरीर की विकारी कर्मेन्द्रियों के वश नहीं रहना है | मन,बुद्धि,संस्कार और पांच विकारो पर को जान परमात्म शक्ति ले पांच विकारो पर जीत पानी है | दिन रात यही धुन लगी हुई है मुझे मायाजीत बनना है , यह कर्मेन्द्रियाँ शांत और श्रेष्ठ कर्म करने के लिए है, इसके लिए मन शांत , बुद्धि शुद्ध हो | कर्मेन्द्रियों के कारण मन चंचल है बूढी में ज्ञान को धारण करो, परमात्मा से योग लगाओ | तो आत्मा में शक्ति आती है फिर सेवा की बात आती है, दिनरात यही भावना है, यही स्वप्न है कि सबकी अंत मते सो गते अच्छी हो | सबकी सद्गति हो, वह कैसे होगी ? मनसा शुभ भावना से | निस्वार्थ भाव है, निष्काम सेवा है | बाबा के अंतिम महावाक्य है बच्चे निराकारी, निर्विकारी,निरहंकारी हो रहना | सेवा करते भी ऐसी स्थिति हो | ऐसे नहीं कि सेवा में ऐसा बिजी हो जाएँ जो यह स्थिति बनाने का समय ही न मिले | अभी आप सभी के चिंतन नहीं | मै राइट हूँ, यह सिद्ध करना जरुरी नहीं है | सच,सच है | सच इतना सच है जो झूठ को ख़त्म करने वाला है | इतना सच्चा बाबा ने बनाया है जो मुझे पता ही नहीं है कि झूठ क्क्य होता है | जिनका सच्चा बनने का पुरुषार्थ कम है, उन पर बहुत तरस पड़ता है | इस बारी बाबा  ने चार-पांच बारी कहा कि अचानक कुछ भी हो जाए, उसके पहले ऐसी सेवा कर लो | जो सेवा बाबा को करनी है, वो मुझे करनी है | मनसा सेवा का अभ्यास बढ़ाना है | वाचा से ज्ञान थोड़ा दो,कर्मणा से, सम्बन्ध से गुन्दन दो | सम्बन्धो में गुणों का पता चलता है | हम राजयोगी,राजऋषि है, कर्मयोगी है, सतयुग की स्थापना करने के निमित्त है | भक्त लोग लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में जायेंगे, हम भी जाते थे, धर्षण करते थे, पर यह भी सोचा थोड़ेही था कि इन्होने यह पड़ कैसे पाया ? बाबा ने यह बाताया, नर ऐसी करनी करे जो श्री लक्ष्मी बन जाए | तो हर एक को लक्ष्मी-नारायण बनना है | लक्षण को कर्म में देखना है, कर्म में श्रेष्ठ कर्म की करनी दिखानी है | तो विकर्माजीत बनने के लिए अटेंशन बहुत चाहिए | खुद के लिए शुभ चिंतन में रहना, औरोके लिए शुभ चिन्तक बनना | यह क्यों बोलते है, क्या बोलते है .......क्यों क्या से बाबा ने छुड़ा दिया है | सिद्ध करने की जरुरत नहीं है | सच्चाई में बल है | भगवान का बच्चा बनना माना खुद सच्चा बनना , तो ताकत आती है | यह गीत बहुत प्यारा लगता है – बचपन के दिन भुला न देना .......... याद हमारी रुला न देना, लम्बे है जीवन के रस्ते आओ चले हम गाते हँसते...... कितना अच्छा है | देखो सारा लाइफ क्या किया ? बचपन के दिन याद करो बहुत अच्छी कहानिया है |   


               

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