अभी पुरुषार्थ की रेस चल रही है, कोई भी संपन्न
सम्पूर्ण नहीं है | इसमें कोई महारथी है, कोई घोड़ेसवार, कोई प्यादे भी है | लेकिन
बाबा कहते है लास्ट सो फ़ास्ट भी जा सकते है | अभी तक भी एक भी सीट फाइनल रिजर्व
नहीं है | पहला और दूसरा नम्बर मम्मा और बाबा की सीट तो फिक्स है , तीसरे नम्बर से
सब खली है | अभी रेस चल रही है | सीटी बजेगी तो सभी को सीट मिलेगी, तब सीट पर सब
बैठेंगे | अभी सीटी नहीं बजी है | अभी तो सब दौड़ रहे है यानि पुरुषार्थ कर रहे है
| सिवाए दो सीट फ़ाइनल के अभी बाबा ने अनाउंस कुछ नहीं किया है | भले हम लोग समझते
है दादियाँ है ना वह तो आठ में आ ही जायेंगी | हम कहाँ जायेंगे ! लेकिन बाबा ने
अनाउंस नहीं क्या है और जो भी चाहे वह चल सकता है, क्योंकि बाबा ने यह राज सुनाया
था कि लास्ट सो फ़ास्ट का एक्जैम्पुल जरुर होना है | बाबा तो विदेशियों को भी कहता
है | बाबा के अव्यक्त ओने के बाद विदेश में सेवाकेंद्र खुले है, लेकिन उन्हों को
भी कहता है कोई भी एक्जैम्पुल बन सकता है | बनना है तभी तो बाबा कहता है ना लास्ट
सो फ़ास्ट | नहीं होना है तो बाबा क्यों कहता है | लेकिन कौन होगा,वह अभी तो दिखाई
देगा भी नहीं ना, अभी तो गुप्त होगा | तो कोई भी हो सकता है,लास्ट सो फ़ास्ट में
आपका ही नम्बर हो क्या पता ? पता थोड़ेही पड़ता है, माया के तूफान कभी-कभी अच्छे
अच्छे को भी ऐसे ले जाते है, यह भी समाचार बहुत सुनते है | इतना अच्छा जिसमे शक भी
नहीं होगा, वह शादी करके पूंछ लटका करके आ रहे है | क्या करे ? तो यह भी होता है,
माया है ना, माया पता नहीं क्या-क्या करा लेती है, तो किसी की भी सीट मुकर्रर नहीं
है | आप सभी को चांस है, कोई भी नम्बर ले सकता है | अभी तक टू-लेट का बोर्ड नहीं
लगा है, इसलिए सभी को मार्जिन है | कोई भी माहाठी बन सकता है महारथी माना जो
परिस्थितियों का सामना करने में महान आत्मा है | महारथी माना यह नहीं कि जिसको हम
महारथी कहते है वही महारथी फिक्स हो गए, नहीं | महारथी का अर्थ ही है जो समस्याओं
में विजयी बन जाए | महान हो | अगर पीछे वाला आगे जावे तो कमाल गाई जायेगी ना |
तो यह तो बाबा का
पक्का कर लिया होगा कि करना ही है | कोई भी स्थूल या सूक्ष्म काम हो, लेकिन करना ही है | अभी बाबा
कहते बच्चे, पुरुषार्थ में यह द्रढ़ता से संकल्प करो कि है’| ‘ही’ शब्द को अभी
अंडरलाइन करो | करना ही है ना कि करेंगे, देखेंगे, सोचेंगे, विचार तो है, उमंग तो
बहुत है, यह बाते बाबा को सुना के बाबा को खुश नहीं करो | इसलिए करना ही है, चाहे
कुछ भी हो जाए, क्या भी हो जाए | यह तीव्र पुरुषार्थी का संकल्प है | कई फिर कहते है हम पुरुषार्थ तो अच्छा करते है,
अपने आप से संतुष्ट भी है, लेकिन हमारे को कोई नान्ता ही नहीं है, कोई पहचानता ही
नहीं है | उस अनुसार हमको कोई सीट ही नहीं मिलती है | अरे , सीट तो आपको पहले ही
सतयुग में भी फिक्स हो गई है, बाबा के घर में भी फिक्स है यानि बाबा के दिल में तो
आपकी सीट फिक्स है ना | लेकिन कइयोंका फाउंडेशन रेत पर है | मानो कोई ने ठीक बात
नहीं की, पानी का ग्लास नहीं हुआ क्या ? अरे बड़ा बनना माना ओखली में मुहँ डालना |
बड़ा बनना है तो किसी से नहीं डरना | ऐसे बड़ा बनना कोई मासी का घर नहीं है | पोजीशन
वा सीट लेना कोई छोटी सी बात नहीं है | वास्तव में जितना बड़ा उतनी बड़ी बाते आएँगी
लेकिन बड़ा होने के कारण उनमे शक्ति भरी होती है | हिम्मत के बिना बाबा की मदद नहीं
होती है | एक कदम उठाने का कर्म हम करे फिर बाबा मदद करेगा | बाकी सिर्फ बाबा ही
सब कुछ करे, यह नहीं हो सकता |
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