क्रोध और हम
क्रोध
का नाम लेते ही हमारे सामने एक ऐसा चेहरा आता है जिसकी आँखे लाल,भौहें तानी,मूछें
बड़ी-बड़ी है | इस चेहरे के प्रति हमारा भाव नफरत और भय का मिला – जुला होता है
लेकिन हममे से कोई भी ऐसा नहीं होगा जिसे क्रोध का अनुभव ना हो | वैसे तो क्रोध को
भूत, अग्नि,चांडाल आदि नाम दिए जाते है फिर भी हम हर छोटी-छोटी बात पर क्रोध करते
है और हमें पता ही नहीं चलता कि यह अनचाहा मेहमान कब आ जाता है | हम दिन में कई
बार इसकी मेहमान नवाजी करते है चाहे रात के 12 बजे हो या दिन के 2, इसके आने-जाने
के दरवाजे 24 घंटे खुले है |
क्रोध
का औचित्य
हम सौ
के नोट को जेब में रख कर फिर चेक करते है कि कहाँ-कहाँ खर्च किया, क्या हमने यह भी
कभी चेक किया कि दिन में कितनी बात क्रोध किया और उसमे कितना जायज था ? यदि हम चेक
करे तो पायेंगे कि सा प्रतिशत हमारा क्रोध नाजायज होता है | यह क्रोध हमें अन्दर
ही अन्दर इतना खोखला करता है जैसे कोई अमीर फिजूलखर्ची से कंगाल हो जाता है | क्रोध तनाव और डिप्रेशन का कारण बनता है ; रिश्तो को कड़वा तथा
जीवन को बोझिल बनता है व् आयु को निगल जाता है |
सामान्य
रूप में हम एक मिनट में 10से 12बार श्वास लेते है लेकिन क्रोध की अवस्था में उसकी
गति 20 से 22 बार प्रति मिनट हो जाती है और जब हम परमात्मा की तरफ ध्यान लगते है
तो गति 6 से 8 बात प्रति मिनट हो जाती है | निष्कर्ष यही निकलता है कि एक बार , एक
मिनट तक क्रोध करने से हम अपनी आयु 8 से 10 श्वास खो देते है और शांत रह कर परमात्मा
का ध्यान करने से 12 से 14 श्वास बचा लेते है इसलिए कहा जाता है कि योगियों की आयु
100 वर्ष से भी ऊपर होती है
कैसे जीते क्रोध को
क्रोध को
जितने का सरल उपाए है, दिन की शरुआत सकारात्मक सोच के साथ करे ; मंदिर,गुरूद्वारे
जाकर या घर में बात एकाग्र मन से परमात्मा को याद करके करे | हम शरीर को
चाय-नाश्ता देकर रिचार्ज करते है और मोबाइल को लाइट से जोड़ कर चार्ज किया जाता है
| मन को चार्ज करने के लिए परमात्मा रूपी पावर हॉउस से जुड़ना आवश्यक है | जितनी
चार्जिंग पावरफुल उतना मन शांत आओ, इसी क्षण मन को चार्ज करे और प्रफुल्लित हो
जाएँ | क्रोध का दूर कारण है सामने वाले को क्रोधित देख क्रोध करना | फिर तो हम
गुलाम हो गए | सामने वाले हँसे तो हम हँसे, वे क्रोध करे तो हम भी क्रोध करे |
क्या हमारी स्वयं पर पकड़ नहीं है ? क्रोध का भूत आ रहा है , भगा सकते हो तो भगाओ
या खुद शांत रहो, चुप हो जाओ, यही उचित जवाब है |
कुछ लोग
कहते है, किसी को झूठ बोलते या अपराध करते देख क्रोध आ जाता है | क्या क्रोध अपने
आप में अपराध नहीं है ? क्षणिक क्रोध भी परिवार बर्बाद कर सकता है, जेल की हवा
खिलवा सकता हिया, साड़ी जिन्दगी का पश्चाताप दे सकता है |
क्रोध के
कारण हम डिप्रेशन, तनाव , सम्बन्ध विच्छेद व् अनेक बीमारियों के शिकार हो जाते है
| एक रिसर्च के अनुसार हम जितना अधिक क्रोध करते है उससे अपच,एसिडिटी व मधुमेह आदि
रोग लग जाते है | क्रोध हमें उस तरह जलाता है जैसे आग सुखी लकड़ी को जलाकर भस्म कर
देती है | आओ हम सभी मिल कर अपनी चेकिंग करे | सुबह उठते ही धारणा करे की आज मुझे
क्रोधमुक्त होने का प्रयास करना है और रात को चेकिंग करनी है कि इस शत्रु को कितनी
बार जीता है ? माना आज 20 की बजाय 10 बार क्रोध आया तो 10 बार तो हमने जीत लिया |
इस प्रकार प्रयास से धीरे-धीरे इस शत्रु को जीतना है | अगर फिर भी क्रोध आता है त
अपने आप को सजा दे | सजा में खाना पीना छोड़े अथवा वह वास्तु खाना छोड़े जो आपको
सबसे अधिक प्रिय है | साधना में बैठे | जो काम कठिन लगता है उसे करने के रूप में
सजा अपने लिए निश्चित करे | गुलाम
बनने की बजाय इस गुप्त शत्रु को गुलाम बनायें,घर से अशांति,दरिद्रता व रोगों को
भगायें |
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