संसार
में करोड़पति है और रोडपति भी परन्तु उन दोनों में से उन्मादी है क्रोधपति |
करोड़पति अहंकारी हो सकते है जबकि क्रोधपति परेशानियों का शिकार रहते है | यह सोचना
तो करोड़पतियो का ही काम है कि करोड़ो कि सम्पति
के मालिक है या यह सम्पति उनकी मालिक | इसी तरह क्रोधपतियों को यह स्वयं
विचार करना है कि क्रोध उनका पति है या वे क्रोध के? कुछ भी हो क्रोध है बुरा
जिसके घर में इसका वास होता है, उसके खजाने खली हो जाते है| खजाने कौन-से ? सुख ,
शांति प्रेम , ख़ुशी व संतुष्टता के| ये
सर्वश्रेष्ठ खजाने है और यह क्रोध एक भयंकर भुत है जिसकी नजर इन्ही खजानों पर रहती
है | अब सोच ले , आपको ये खजाने प्रिय है या आपका प्यार इस भूत से है?
निर्णय
शक्ति भ्रमित
क्रोधी पापा के घर में प्रवेश करते ही बच्चे
ऐसे ही दुबक जाते है जैसे बिल्ली को देखकर चुहे | यदि किसी
के
घर का बड़ा व्यक्ति क्रोध कि अग्नि में जलता है तो वहां कि खुशहाली जलकर नष्ट हो
जाती है | बच्चो कि बुद्धि का विकास रुक
जाता है और अनेको का जीवन उदासी व निरासा के गहन अंधेरो में डूब जाता है | क्रोध
का पहला बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है स्वयं क्रोधी को | हमें ज्ञात रहे कि क्रोध
मनुष्य के विवेक को नष्ट कर देता है | क्रोध बुद्धि का परमशत्रु है, क्रोध
मनुष्यों से पाप करता है और उन्हें जेल के शिकंजो में भी बंद करवा देता है | क्रोध
आने से मनुष्य कि निर्णय शक्ति भ्रमित हो जाती है और वह उचित निर्णय नहीं कर पाता |
यदि निर्णय ही उचित न हो तो जीवन अवश्य ही समस्याओ के घेरे में आ जाता है |
मस्तिष्क
में कमजोरी
सुना
होगा आपने कि क्रोधी का प्रारंभ मूढ़ता से होता है और अंत पश्चाताप से | जब क्रोध
प्रारंभ होता है तो बुद्धि को मूढ़ कर देता है | जा मनुष्य क्रोध कि ज्वाला में
जलता है तो अपशब्दों का प्रयोग करता है और जब क्रोध शांत होता है तो पश्चाताप कि
अग्नि में जलता है यह महाशत्रु क्रोध-आदि –मध्य-अंत मनुष्य को दुःख देता है |
क्रोध करना पाप भी है | इससे दुसरे दुखी होते है, दुसरो कि भावनाओ को चोट पहुंचाती
है यूँ भी कह सकते है इ क्रोध पाप का मूल है और पाप का अल सदैव ही बुरा होता है |
क्रोध से बुद्धि का नाश होता है इसलिए जिन बच्चो को शिक्षा के क्षेत्र में प्रवीण
होना है वो क्रोध का त्याग करे | माँ-बाप का भी कर्तव्य है कि वे घर में ऐसा
वातावरण न बनाये जिससे बच्चो का क्रोध व
चिडचिडापन बढ़े नहीं तो इसका प्रभाव उनके भविष्य पर अवश्य होगा | यह भी सब जानते
होंगे कि क्रोध से तनाव और तनाव से एसिडिटी व अल्सर होता है | क्रोध से हाई ब्लड
प्रेशर होता है | क्रोध का प्रभाव मनुष्य की पाचन शक्ति को क्षीण कर देता है और
मस्तिष्क को निर्बल बनता है | इसलिए भी मनुष्य को इस जहर को त्याग देना चाहिए |
अत:
हे क्रोध क्रोध के पतियों , अपे क्रोध को त्यागने कि इच्छा पैदा करो | आपके बच्चे
और पत्नी प्यासी नजरो से आपके घर में आने कि राह देखते है | स्वयं सोचो, जब आप
क्रोध के गुबार को मन में समय घर में जाते हो तो उनकी भावनाओ पर कितना कुठाराघात
होता होगा | उनकी जगह आप होते तो ....?
कई
अधिकारी भी कहते है, क्रोध करना ही पड़ता है उसके बिना लोग काम नहीं करते | ठीक ई
यह बात | कार्यकर्ता भी ऐसे ही है लेकिन क्या अग्नि से सब काम हो सकते है ? क्या
अग्नि प्यास भी बुझा सकती है? आप अपने अन्दर स्नेह व शुभ भावनाओ कि शक्ति भरे | यह
शक्ति चमत्कारिक कार्य करेगी | प्रेम का शस्त्र , क्रोध के शस्त्र से कही अधिक
शक्तिशाली है
कामनाओ
को कम करे
क्यों
होता है मनुष्य क्रोध का शिकार ? निर्बल मन में क्रोध का प्रवेश होता है | जो
मनुष्य ज्यादा भावुक है, उस पर क्रोध का वार होता है | जहाँ अहंकार है, वाही क्रोध का जन्म होता है | क्रोध का मुख्य
कारण है मनुष्य कि कामनाओ का पूर्ण न होना | कइयो ने क्रोध को अपना स्वाभाव ही बना लिया है | यह एक रोग है जो आपको निर्बल
करता चलेगा | याद रहे, शक्तिशाली व्यक्ति वाही है जो स्वयं पर नियंत्रण कर सके |
क्रोध मुक्ति के लिए आप अपनी अनावश्यक कामनाओ को समाप्त करे | आपको ज्ञात हो कि
प्रत्येक मनुष्य का सामर्थ्य अपना-अपना है | हरेक मनुष्य हमारी इच्छाओ के अनुरूप
कार्य नहीं कर सकता | हमें दुसरो को भी जानने व पहचानने कि कोशिस करनी चाहिए और
साथ-साथ उनकी परिस्थितियों पर भी ध्यान रखना चाहिए | इस अग्नि से बचने के लिए आप
कभी भी यह न कहे कि काम ऐसा क्यों नहीं किया मुझे उसने ऐसा क्यों कहा मेरी आज्ञा
क्यों नही मानी | जीवन में विभिन्न क्षेंत्र में उठने वाला यह क्यों क्रोध को जन्म
देता है | जैसा मै चाहूँ वैसा ही सब करे इस विचार को जरा हल्का कर दे | अपने से
पूछें कि क्या मै स्वयं सदा ही दुसरो कि कामनाओ के अनुरूप काम कर सकता हूँ | उत्तर
मिलेगा, नहीं | इस समस्त विश्व में कोई भी मनुष्य सदा ही दुसरो कि कामनाओ पर खरा
नहीं उतर सकता | इस सत्य को जानकर कामनाओ को कम करे तो क्रोध कम हो जायेगा |
धैर्य
एक महान गुण है | धैर्य ही क्रोध कि ओषधि है | जरा ठहरे व मन को तुरंत प्रतिक्रिया
करने से रोके | कुछ बोलना ही है तो एक मिनट ठहर जाये | मुझे क्रोध नहीं करना है
क्योकि क्रोध व्यक्तित्य को मलीन कर देता है, क्रोध विचारो को दूषित कर देता है –
यह प्रतिज्ञा कर ले | एक मास तक प्रतिदिन सवेरे उठकर अपनी प्रतिज्ञा को दोहराये ,
कुछ अच्छे विचार मन में लाये , तो क्रोध अवश्य ही ख़त्म हो जायेगा
तो आओ , हम सब अपने-अपने घाव में प्रेम
ख़ुशी व शांति कि सरिता बहाए | हम प्रारंभ करे क्रोध को त्यागने का तो हमें देखकर
अन्य भी वैसा ही करेंगे | चाहे जितना भी ज्यादा काम हो सहज भाव से क्रोध रहित होकर
करे |
Om shanti bhai ji,
ReplyDeleteMurli missing dt. 14.11.2018